सम्झे नि के भो, बिर्से नि केभो, त्यो यात्रा अधुरो।…२
बलेनी के भो, निभेनी के भो, त्यो दियो मधुरो।
के के अधुरो, के के मधुरो।…२
त्यो सास अधुरो, यो आश मधुरो।
सम्झे नि के भो।
चिनारी नौलो, रुप सुनौलो, सपना मन भित्र।…२
सम्बन्ध गहिरो, गंगाजल झैँ, पिरती पवित्र।…२
कसले ढाँट्यो, विश्वास फाट्यो, जिन्दगी अधुरो।
के के अधुरो, के के मधुरो।…२
त्यो वाचा अधुरो, विश्वास मधुरो।
सम्झे नि के भो।
चाल मन्दमन्द,फूलको सुगन्ध, जादु छाएसरी।…२
पलपल आनन्द, नौलो तरङ्ग, संसारै पाएसरी।…२
कसरि छुट्यो, कसले लुट्यो, खुशी नै अधुरो।
के के अधुरो, के के मधुरो।…२
त्यो मिलन अधुरो, मिठास मधुरो।
सम्झे नि के भो।
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